"आतंकी हमारे हीरो" Aatanki hamare hero

आतंकियों के भेंट चढ़ गए कितने मासूम यतीम हुए,
साया एक ओझल हुआ, कौन, किसी को, वो क्या कहे,

कौन था अपना याद रहा न, विस्फोट ध्वनि प्रचंड रही,
दृश्य वो दहलाने वाला, नेत्र कहीं और नीर कहीं,

नवजात शिशु की वो बड़ी दिवाली याद रही न भुला सका,
घर आँगन में दीप जलाये, साया जला न बुझा सका,

अग्नि तन में दहक रही वो, पिघल पिघल कर उम्र घटे,
निर्दय, निठुर विधाता कितने सजदा और नामो में बंटे,

फांसी तकता, राह ताकता, VIP जेल जहाँ,
कसाब बेचारा और अमर हो गया, कुर्बानो का नाम कहाँ,

वरुण पंवार

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