"आशिक डूबा परिंदा है" Aashiq duba parinda hai


आशिक डूबा परिंदा है, उसे डूबा ही रहने दो,
मुहब्बत प्यार का दरिया है, उस दरिया को बहने दो,
कोई ये कह नहीं सकता परिंदा उड़ रहा होगा,
मुहब्बत चीज ही ऐसी है, कोई भी डूब जाता है,

मोहब्बत खेल का प्रांगण है, इसमें खेलते रहना
अगर जो हार होती है, तो उसको झेलते रहना,
यहाँ दुश्मन कई सारे तेरे दर्शक बने बेठे,
अगर सच्चा खिलाडी है तो एक दिन जीत जायेगा, 

यहाँ पर इश्क और किस्मत के बाज़ीगर बड़े बेठे,
बड़ी इस भीड़ में कितने, मुहब्बत को गवा बेठे,
यहाँ गिरते हैं पत्ते पेड़ से सब, जब वसंत आए,
और कुश्किस्मत उन्हें कहते हैं जो उनपे ठहर जाते हैं,

वाहन  है मुहब्बत का सवारी भी जरुरी है,
तो मंजिल पे भी जाना है तो मकसद भी जरुरी है,
अगर खाली है जो गाडी तो मंजिल पे चले जाओ,
सवारी का क्या है वो कहीं पर मिल ही जायेगी,

ये पाठ है ऐसा जिसे कोई पढ  नहीं पता,
एहसास ही डिग्री है कि उसको सब कुछ है फिर आता, 
लिखना नहीं पढ़ना नहीं जो उसकी एक हाँ है तो, 
विफलता से सफलता का वो आनंद आ ही जाएगा, 

वरुण पंवार

No comments: