"ये उम्र कहती है की मैं फिर आउंगी तुझसे मिलने" ye umar kehti hai ki main fir aaungi tuzhse milne

एक अंगड़ाई में नीद की सलवटें अक्सर नजर आती हैं,
एक जाम में सदियों की उम्र गुजर जाती है 
कोई कहता है जिंदगी चलती का नाम गाडी है,
अच्छा हमसफ़र मिलजाए तो जिन्दगी संवर जाती है

देखो किसी किनारे दरिया के एक सेतु किसी उम्मीद में रहता है,
हवा के जोर से रेत का मजमा उसपे बेठा मिलता है
यहाँ तुम किस्मत के धनि हो तो ही बात बनती है,
वरना समंदर बन ने की जुस्तजू में बादल भी पिघल जाता है  

मैं चलता रहूँ बस सहारा रहे मेरे उन होंसलों का,
फ़िक्र बस इतनी मेरी दीवानगी न नीलाम हो जाये
मैं ये भी जानता हूँ की मेरा ठिकाना फिर कहाँ होगा, 
कि  परिंदा आस्मां को छूने में जब नाकाम हो जाए

हर सुबह का सूरज दिन का पयमाना बनाता है,
हर श्याम कहती है अभी मैं होश में हूँ
जिन्दगी भी नशे का एक ग़मगीन तौफा है,
फर्क इतना ही है कि इसे इंसान बनाता है

ये सफ़र मेरा आखरी सलाम का मोहताज़ है,
न मैं जानू, न जिन्दगी कि कौन कितना ख़ास है
ये उम्र कहती है की मैं फिर आउंगी तुझसे मिलने,
बस साफ़ करदे मनसूबे कि ऐसी कौन सी प्यास है

वरुण पंवार 

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