एक क्रन्तिकारी की आत्मा का ये क्रांति आगाज़ है, आया है देश वासियों को जगाने और हिंदुस्तान की आदत यानी आजादी फिर एक बार मांगने।
क्या जतन की है कमी, या सरफ़रोश मैं नहीं
क्या लहू का जलजला रगों में ही दिखा नहीं
क्या हमारी सेना आज शवो की दूकान है
या भ्रम में है वतन आज़ादी की थकान है
चोराहे नाम के बने जो क्रांति शूरवीर हैं
भीख तुमसे मांगते आज़ादी के शौक़ीन हैं
एक कलम की नौक से मैं तीर को तपा रहा
जुबान की कमान में मैं शोलों को सजा रहा
गर अगर लहू बहे तो रौंगटे सलाम दें
गर न उठ सका तो मुझको हौंसले उड़ान दें
कैसे आर्याव्रत में आतंकी गीत गा रहा
स्वंतंत्रता की शय्या पर मासूमों को सजा रहा
शहीदों की शहादतों का कैसा तौफा है मिला
तिरंगे की जुबान पर अंग्रेजी स्वाद है मिला
तीन रंग ओढे बेठा कौन है वो देखले
देश जल रहा है, आग चाहे तू भी सेकले
भ्रस्टाचारी राजनीति, कौरवो की जीत हैं
कृष्ण रो रहा है, अर्जुन भी भयभीत है
राम लाचार, हनुमान शक्तिहीन है
देश की लगाम रावण के अधीन है
क्यों जला रहा है तन को, सीने को तपा ज़रा
एक गोली सह सके न शोर क्यों मचा रहा
क्या तेरा भी शेर/पुत्र उन पहोड़ो पे दहाड़ता
सेंद जो लगाये दुश्मनों को है उखाड़ता
सीने पे चट्टान थामे बर्फ को गला रहा
वीर रस की लौ को अपने लहू से सुलगा रहा
संविधान गिर पड़ा है, माता लहुलुहान है
मज़हबो के नाम बंट गया ये हिन्दुस्तान है
शिवो अहम् -शिवो अहम् -शिवो अहम् तू बोलदे
ललाट में जो नेत्र है उसको फिर से खोल दे
अश्क सुर्ख हैं लहू के, तू भी तो पिघल जरा
कंठ के हलाहल को मुख से तू उगल जरा
कारगिल युद्ध नहीं मानवता संग्राम है
चोट काश्मीर की तड़पता ग्राम ग्राम है
मुझमे एक क्रांति वीर की मशाल है जले
गांधीवाद है विवाद, सियासतों के सिलसिले
मुझको पहचान लो ये मेरी हुंकार है
वीर रस की आड़ में नई क्रांति की गुहार है
सर उठा जो हाँ तेरी है मुजको तू संकेत दे
देश उठ खड़ा हो फिर से ऐसी एक भेंट दे
मैं कटा चूका हूँ सर को देख तेरे सामने
महाकाल साथ लाया हूँ मैं हाथ तेरा थामने
किस बात का है भय तुझे ये तेरी मातृभूमि है
दुश्मनों के रक्त को ये कृपाण मेरी झूमी है
झुमने लगी है खुद भी, इसको तू नचा जरा
तृप्त हो सके ये फिरसे तृष्णा को बुझा जरा
इन्कलाब-इन्कलाब मुठठी को यूँ तानले
हिंद्बाद है आबाद इसको फिर से जानले
हो सके तो इसका क़र्ज़ तूने फिर चुकाना है
दुश्मनों के सर को सिर्फ काट कर झुकाना है
ताकि बच सके न कोई दरिंदा अत्याचार का
व्यर्थ जा सके न मेरा जन्म धर्माचार का -जन्म धर्माचार का-जन्म धर्माचार का
जय हिन्द- जय हिन्द - जय हिन्द
जय हिन्द - जय हिन्द - जय हिन्द
वरुण पंवार