ब्रह्मा कि श्रृष्टि का कैसा उपसंहार हुआ |
जल, पवन , धरा और नभ का मनुष्य रूद्र अवतार हुआ ||
खग, विहग को भक्छ लिया अब मनुष्य आदम-खौर हुआ |
मानवता का त्याग किया तो दानवता कि ओर हुआ ||
लूट , फिरौति , क़त्ल , वासना , इसके अब हथियार हुए |
जीवन मूल्यहीन हुआ और मानव - बम्ब तैयार हुए ||
देख श्रृष्टि कि रचना को , विष्णु जल में हि डूब मरे |
भ्रूण हत्या का वर मिला तो महारथी भी खुद पड़े ||
कृष्ण , सुदामा , शम्भू , बजरंग सैर सपाटा करते हैं |
रेलगाड़ी की बौगी में ही नृत्य - करतब करते हैं ||
सरकार साहूकार हुई ये जग में गुंडाराज हुआ |
दल्य - निर्दल्य की खीर बनी , मतदाता दाने को मोहताज़ हुआ ||
शोक - सभाएं जमकर लगती उपवास - आन्दोलन का दौर है ये |
मैं भी उनमे शामिल रहता , अन्ना जी का शोर है ये ||
आतंकवाद की भेंट चढ़ गए , कितने शहर - ग्राम यहाँ |
देह - आत्मा बिकती हैं अब , जीवन बना संग्राम यहाँ ||
पाकिस्तान नहीं दुश्मन हमारा , दुश्मन ये संसार हुआ |
भाई - चारे का नाता टूटा तभी वतन बर्बाद हुआ ||
वरुण पंवार